Thursday, May 9, 2019

किसके सर चडेगा जीत का ताज एक नजर सलेमपुर 71 लोक सभा सीट पर


 सलेमपुर 71 लोक सभा सीट पर कौन जीतेगा इस बार २०१९ लोकसभा चुनाव
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  सलेमपुर 71 लोक सभा सीट पर कौन जीतेगा इस बार २०१९ लोकसभा चुनाव
  

                    इतिहास के पानो से 

आजादी से पहले तक सलेमपुर सबसे बड़ा तहसील हुआ करता था, लेकिन समय-समय पर बहराज, रुद्रपुर और भाटपार रानी को अलग-अलग करते हुए नए तहसील बना दिए गए. सलेमपुर का इतिहास भी काफी पुराना है. यह क्षेत्र मुस्लिम आक्रमणकारियों के आने से पहले गुप्त वंश और पाल शासकों के अधीन रहा था. घने जंगलों के कारण मुस्लिम आक्रमणकारी इस क्षेत्र में आक्रमण के लिए नहीं आ सके थेसलेमपुर लोकसभा सीट उत्तर प्रदेश के 80 संसदीय सीटों में से एक है और इसकी संसदीय सीट संख्या 71 है. यह संसदीय सीट प्रदेश के 2 जिलों बलिया और देवरिया से मिलाकर बना है. सलेमपुर प्रदेश के सबसे पुराने तहसील हेडक्वार्टर के रूप में जाना जाता है. ब्रिटिशकाल में तहसील के रूप में इसकी स्थापना 1939 में हुई थी. सलेमपुर के पास से छोटकी गंडक नदी गुजरती है और यहां पर पूर्वोत्तर रेलवे (एनईआर) का एक प्रमुख स्टेशन भी है.आजादी से पहले तक सलेमपुर सबसे बड़ी तहसील हुआ करती थी, लेकिन समय-समय पर बरहज, रुद्रपुर और भाटपार रानी को अलग-अलग करते हुए नए तहसील बना दिए गए. सलेमपुर का इतिहास भी काफी पुराना है. यह क्षेत्र मुस्लिम आक्रमणकारियों के आने से पहले गुप्त वंश और पाल शासकों के अधीन रहा था. घने जंगलों के कारण मुस्लिम आक्रमणकारी इस क्षेत्र में आक्रमण के लिए नहीं आ सके थे. राजनीतिक पृष्ठभूमिसलेमपुर संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत 5 विधानसभा क्षेत्र भाटपार रानी, सलेमपुर (अनुसूचित जाति), बेल्थरा रोड (अनुसूचित जाति), सिकंदरपुर और बंशदीह आते हैं, जिसमें 2 विधानसभा क्षेत्र अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है.देवरिया जिले में पड़ने वाले भाटपार रानी विधानसभा क्षेत्र पर समाजवादी पार्टी का कब्जा है. उसके उम्मीदवार आशुतोष उपाध्याय ने 2017 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के जयंत कुशवाहा को 11,097 मतों के अंतर से हराया था. वहीं सलेमपुर विधानसभा क्षेत्र एक रिजर्व सीट है और यहां से भारतीय जनता पार्टी के कली प्रसाद ने 2 समाजवादी पार्टी के विजय लक्ष्मी गौतम को आसान मुकाबले में 26,654 मतों के अंतर से हराया था. बेल्थरा रोड से भारतीय जनता पार्टी के धनंजय कन्नौजिया ने समाजवादी पार्टी के गोरख पासवान पर 18,319 मतों के अंतर से जीत हासिल की थी. यह सीट भी अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. 2012 के चुनाव में गोरख विजयी रहे थे.

जातिगत आकडे

 आर्थिक रूप से सलेमपुर संसदीय सीट राज्य के पिछड़े क्षेत्रों में आता है. 2011 की जनगणना के मुताबिक सलेमपुर तहसील की आबादी करीब 6 लाख (6,04,483) है जिसमें 3 लाख पुरुष (49%)  और 3.1 लाख (51%) महिलाएं हैं. यहां की 80 फीसदी आबादी सामान्य वर्ग के लोगों की है, जबकि 16% लोग अनुसूचित जाति के लोगों की है, जबकि 4 फीसदी आबादी अनुसूचित जनजाति के लोगों की है.धर्म के आधार पर देखा जाए तो हिंदुओं की आबादी 86.2 फीसदी है तो 13.5 फीसदी मुस्लिमों की आबादी रहती है. यहां लिंगानुपात प्लस में है. 1 हजार पुरुषों में 1,027 महिलाएं हैं. साक्षरता दर 73 फीसदी है जिसमें 82 फीसदी पुरुष और 62 फीसदी महिलाएं शामिल हैं. 

  2014 के आम चुनाव के आकडे

 2014 के आम चुनाव के लिहाज से सलेमपुर संसदीय सीट पर इलेक्टोरल की बात की जाए तो यहां पर 16,61,737 लोग शामिल रहे. पिछले लोकसभा चुनाव में यहां पर 51.50 फीसदी मतदान हुआ था. बीजेपी, सपा, बसपा और कांग्रेस समेत 13 उम्मीदवारों ने अपनी दावेदारी ठोकी थी, जिसमें मुख्य मुकाबला बीजेपी, बसपा और सपा के बीच रहा.बीजेपी के रविंद्र कुशवाहा ने 45.89 फीसदी वोट हासिल करते हुए 3,92,213 मत हासिल किया. उन्होंने बसपा के रवि शंकर पप्पू को 2,32,342 मतों (27.18%) के अंतर से हराया. रवि शंकर को महज 1,59,871 मत मिले. सपा और कांग्रेस इस संघर्ष में क्रमशः तीसरे और पांचवें पायदान पर रही2014 से पहले के लोकसभा चुनाव पर नजर डाली जाए तो 1957 से अब तक हुए 15 लोकसभा चुनाव में शुरुआती 7 चुनाव में 1957 से 1984 तक 6 बार कांग्रेस ने जीत हासिल की है. लेकिन 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद यहां पर जीत हासिल करने के बाद उसे अपनी पहली जीत का इंतजार है तो बीजेपी ने 2014 के आम चुनाव में पहली बार यहां से जीत हासिल की थी. 1989 और 1991 में जनता दल के हरिकेवल प्रसाद विजयी रहे थे. तो सपा और बसपा ने भी 2-2 बार यहां पर जीत हासिल की है. हरिकेवल यहां से 4 बार सांसद रहे हैं और रबिंदर कुशवाहा हरिकेवल प्रसाद के ही लड़के है 

बीजेपी उमीदवार रबिंदर कुशवाहा के लाइफ पर एक नजर 

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 Ravindra kushwaha
 सलेमपुर के 56 वर्षीय सांसद रविंद्र कुशवाहा की शैक्षणिक योग्यता की बात की जाए तो उन्होंने 12वीं तक की शिक्षा हासिल की है. वह एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं.पेशे से वह एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं उनके परिवार में एक बेटा और एक बेटी है. वह देवरिया जिले के इथुआ चंदौली में रहते हैं.सांसद का रिपोर्ट कार्डसांसद रविंद्र कुशवाहा पहली बार लोकसभा पहुंचे हैं. वह फूड, कन्ज्यूमर एंड पब्लिक डिस्ट्रब्यूशन कमिटी की स्टैंडिंग कमिटी के सदस्य हैं. जहां तक लोकसभा में सत्र के दौरान उनकी उपस्थिति का सवाल है तो उनकी उपस्थिति गुजरे साढ़े 4 साल के बुलाए गए सत्रों (8 जनवरी, 2019) में उनकी उपस्थिति का रिकॉर्ड 89 फीसदी है. इस दौरान 6 बार उनकी उपस्थिति 100 फीसदी रही, जबकि 6 अन्य सत्रों में उनकी उपस्थिति 90 फीसदी से ऊपर रही. उपस्थिति के मामले में उनका सबसे खराब प्रदर्शन 2018 के बजट सत्र में रहा जहां उनकी उपस्थिति 66 फीसदी रही.हालांकि लोकसभा में उनकी सक्रियता खास नहीं रही है. उन्होंने कुल 19 बहस में हिस्सा लिया, जबकि बहस में शामिल होने के मामले में उनके राज्य का औसत 107.2 फीसदी है और राष्ट्रीय औसत 65.3 है. सवाल पूछने के मामले में भी वह राष्ट्रीय (285) और राज्य (193) औसत से काफी पीछे है. उन्होंने 86 सवाल पूछे हैं

आरएस कुशवाहा 

बसपा में बड़ा फेरबदल, रामअचल की जगह आरएस कुशवाहा प्रदेश अध्यक्ष

आरएस कुशवाहा प्रदेश अध्यक्ष बसपा 

R. S. Kushwaha is an Indian politician from the Lakhimpur constituency of Uttar Pradesh. Kushwaha is currently the Uttar Pradesh state President of Bahujan Samaj Party

आइये देखते है इस बार का मोहौल क्या है

एक तरह से देखा जाए तो सलेमपुर लोकसभा सीट पर पिछले 30 सालों में समाजवादी पार्टी का दबदबा रहा है. बीजेपी तो पिछली बार मोदी लहर में यह सीट निकालने में कामयाब रही है. इस बार राज्य में सपा-बसपा एक साथ चुनाव लड़ रहे हैं. ऐसे में बदले समीकरण में बीजेपी के लिए यह सीट निकाल पाना आसान नहीं दिख रहा. हालांकि पिछले चुनाव के आधार पर बीजेपी के विजयी उम्मीदवार को करीब 46 फीसदी वोट मिले थे जबकि बसपा को 18.7 और सपा को 19.68 फीसदी वोट हासिल हुए. दोनों के योग (38.38 फीसदी) भी बीजेपी उम्मीदवार को मिले वोट से काफी कम है. अगर पिछली सूरत बनी रही तो बीजेपी की राह आसान हो सकती है. देखना होगा कि 2019 के चुनाव में किस पार्टी का दबदबा सलेमपुर में कायम होता है.उधर, बसपा ने अपने प्रदेश अध्यक्ष आरएस कुशवाहा को यहां से चुनाव मैदान में उतारा है। सपा के साथ गठबंधन में यह सीट बसपा के खाते में आई है। इन दोनों प्रत्याशियों के बीच मुख्य मुकाबला होने की उम्मीद लगाए लोगों को कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी उतारकर चौंका दिया। कांग्रेस ने यहां से वाराणसी के पूर्व सांसद एवं विधान परिषद के भी सदस्य रहे राजेश मिश्रा को प्रत्याशी बनाया है। वर्ष 1957 के चुनाव से लेकर अब तक 6 बार यह सीट कांग्रेस के कब्जे में रही है। यह देखा जाये तो दो ही पार्टी में मुकाबला है सपा-बसपा गठबंधन और बीजेपी में अगर जातिगत अकड़े देखा जाये तो हिन्दू की जनसँख्या ज्यादा है चुकी बीजेपी को हिन्दू  की वोट मिलता है बीजेपी हिंदुत्वा का अजेंडा पर वोट मांगती है लेकिन जहा सपा-बसपा उमीदवार हो वह हद तक हिन्दू आपस में अलग अलग हो जाते है जाते है यादव जहा सपा का सपोर्ट करते है वही अनुसूचित जाती के लोग बसपा को और मुस्लिम वोट भी सपा या बसपा को जाता है  

'आएये एक नजर डाले मुख्या  दो प्रत्याशी जो मुकाबले में है'

आरएस कुशवाहा ,और रबिंदर कुशवाहा  दोनों लोग कुशवाहा जाती से आते है और कुशवाहा जाती इस लोकसभा सीट में सबसे ज्यादा मतदाता है यही जातिगत आकडे देखते हुए बसपा भी अपनी  प्रत्याशी कुशवाहा को ही  उतरा है ताकी कुशवाहा का  वोट कट सके अब देखना है क्या कितना ये फैक्ट काम  कर पता है बसपा-सपा को जीत दिलाने में इन दोनों लोगो का तुलना की जाये तो आरएस कुशवाहा कही नहीं ठहरते  सलेमपुर में  रबिंदर कुशवाहा के तुलना मै क्यों की रबिंदर कुशवाहा को सलेमपुर की जमी से जन्म से लगवा है इनका फॅमिली बैकग्राउंड भी है सलेमपुर की राजनीती में, 1989 और 1991 में जनता दल के हरिकेवल प्रसाद विजयी रहे थे जो की रबिंदर कुशवाहा के पिता है, आरएस कुशवाहा बाहरी नेता है जो केवल इलेक्शन के समय आये है, और कुछ  ऐसे फैक्ट है जो रबिंदर कुशवाहा को जितने का चांस 100% पका करता है 

1 फैक्ट :  सभा कुवर कुशवाहा- जो की बसपा के प्रत्याशी रहे है जिनकी पकड़ कुशवाहा जाती पर मजबूत है अब ये बीजेपी ज्वाइन कर लिए है 

 2 फैक्ट : अस्वनी सिंह- अस्वनी सिंह  जो की इस एरिया की एक अच्छे नेता समाजसेवी युवा वर्ग में पकड़ रखने वाले नेता है इनकी इमेज देखा जाये तो काफी अच्छा है हर गरीब से इनका जुड़ाव है दुःख सुख में लोग की मदत करते है और लोगो से काफी तारीफ भी सुनने को मिलता है इनके बारे में ये भी निर्दल प्रत्यासी के रूप में विधान सभा लडे चुके है ये भी बीजेपी ज्वाइन कर लिए है 

फैक्ट- मोदी लहर देश प्रेम-  युवा वर्ग और जो लोग पड़े लिखे है वो जातिगत मुड़े से हट के देश के विकाश के लिए वोट कर रहे यादव हो या अनुसूचित जाती क लोग हो इन्हें लग रहा मोदी राज में देश सुरक्षित है पड़े लिखे युवा वर्ग मोदी के नाम पर वोट कर रहा 

फैक्ट ,विकाश का मुदा- विकाश देखा जाये तो अच्छा हुवा इस लोकसभा में जो रोड बनी है जो रोड का विकाश हुवा है इस तरह पहले नही हुआ है हर गली में रोड बन गयी है मैंन रोड का भी विकाश बेहतर हुआ  है 

5 फैक्ट ;बढते वोटरों की संख्या -भाटपार रानी विधान सभा में इस बार बीजेपी को वोट पिछले बार से ज्यादा मिलेगी क्यों की वोटर्स का मूड बदला है इस बार वोटर्स बीजेपी के सपोर्ट में आये है

 यही फैक्ट ही बीजेपी को जीत दिला रही है तो इस बार भी बीजेपी Candidate Rabindra Kushwaha  का जीत होना 100%  तय है ...फिर इस बार भी यहा कमल ही खिलेगा..लगभग .100000 वोटो से जित होगी


  Written by   Vinod kumar kushwaha
                                 
  My article is nat depended on my sir name.   
                                  . I am writing this article as a author nor a party supporter but,Thats Which is Right is Right. This is a social observation







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