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Friday, June 26, 2020

मोहब्बत हो गई जिस को उसे अब देखना क्या है

मोहब्बत हो गई जिस को उसे अब देखना क्या है
भला क्या है बुरा क्या है सज़ा क्या है जज़ा क्या है

ज़रा तुम सामने आओ नज़र हम से तो टकराव
किसे फिर होश हो तुम ने कहा क्या है सुना क्या है

मोहब्बत जुर्म ऐसा है कि मुजरिम है खड़ा बे-सुध
किया क्या है गुनह क्या है सज़ा क्या है ख़ता क्या है

न आना इश्क़ के बाज़ार में अंधी तिजारत है
दिया क्या है लिया क्या है बिका क्या है बचा क्या है

ज़माना झूम उट्ठा है सदा-ए-दाद आती है
न जाने आज 'माहम' ने ग़ज़ल में कह दिया क्या है

Saturday, June 20, 2020

क्यों आज कल


आज कल कुछ अजब सा  लगता है,

क्या समझ कर ना समझ ये मन होता है?

कभी कभी देख कर अनदेखा करते है,

कभी पाकर खोने का डर सताता है,


कभी जानकर अनजान बनते है,

कभी हस कर भी क्यों रोना आता है?

क्यों प्यार मे भी नफरत छुपी रहती है?

कभी जीत कर भी हारा हुआ लगता है,


कभी सोते हुए भी जागते रहते है,

कभी सपने देखना भी डर लगता है,

कुछ करने को जी करता पर रुक जाते है,

घर का दरवाजा खुला है, पर खुद को कैद मानते है,


आज कल कुछ अजीब सा लगता है........


कभी ये मन का भ्रम या अकेलापन लगता है,

कभी ये दुनिया बदली बदली सी लगती है,

कभी ये हालात की सीकर होना लगता है,


फिर कभी ये समय की खेल भी लगता है,

कैसा ये खेल? पास की गली तो सूनी सूनी लगती है,

सामने की सड़क तो सन्नाटे से भरी है,

दिन या रात सब एक जैसे लगते है,


फूलो की खुशबु महकती है, पर फूल खिलते नहीं है,

आज कल कुछ अजब सा लगता है...........


ये सब अजब से पल क्यों आते है?

दिल की धड़कने और बढ़ जाती है,


इधर देखो तो समय आँख मारता है,

उधर देखो तो सुबह का सूरज ढलने लगता है,

फिर अचानक क्यों हसीं आता है?

सायद जीवन को कोई कहलाता है,


सूरज जैसे धीरे धीरे तुम ढल जाओगे, ये सच है,

पर उसके पहले कुछ कर दिखाना है,

हर किसी को एक दुसरो मे खुशियाँ बाँटना है,

हर भूखे को खाना खिलाना है,


हर प्यासे की प्यास बुझाना है,

दुनिया मे चैन और अमन बनाए रखना है,

अधर्म को मिटाके धर्म का विजय तिलक लगाना है,

इंसान है  हम इंसानियत दिखलाना है,


कहने से नहीं करके दिखलाना है,

क्या हम सब तैयार है या और भी सोना है?

आज कल कुछ अजब सा लगता है............

Friday, June 5, 2020

कौन आएगा यहाँ कोई न आया होगा

kaif Bhopali famous ghazal mera darwaza hawaon ne hilaya hoga

कौन आएगा यहाँ कोई न आया होगा 

मेरा दरवाज़ा हवाओं ने हिलाया होगा 


दिल-ए-नादाँ न धड़क ऐ दिल-ए-नादाँ न धड़क 

कोई ख़त ले के पड़ोसी के घर आया होगा 


इस गुलिस्ताँ की यही रीत है ऐ शाख़-ए-गुल

तू ने जिस फूल को पाला वो पराया होगा 


दिल की क़िस्मत ही में लिक्खा था अंधेरा शायद 

वर्ना मस्जिद का दिया किस ने बुझाया होगा 


गुल से लिपटी हुई तितली को गिरा कर देखो 

आँधियो तुम ने दरख़्तों को गिराया होगा


खेलने के लिए बच्चे निकल आए होंगे 

चाँद अब उस की गली में उतर आया होगा 


'कैफ़' परदेस में मत याद करो अपना मकाँ 

अब के बारिश ने उसे तोड़ गिराया होगा

Saturday, May 30, 2020

दोस्त अब थकने लगे है

दिनभर जो भागते दौड़ते थे,
वो अब चलते चलते भी रुकने लगे हैं।

पर ये हकीकत है,
सब दोस्त थकने लगे हैं। 

किसी को लोन की फ़िक्र है,
कहीं हेल्थ टेस्ट का ज़िक्र है। 

फुर्सत की सब को कमी है,
आंखों में अजीब सी नमी है। 

कल जो प्यार के ख़त लिखते थे,
आज बीमे के फार्म भरने में लगे हैं। 

पर ये हकीकत है 
सब दोस्त थकने लगे हैं। 

देख कर पुरानी तस्वीरें,
आज जी भर आता है।

क्या अजीब शै है ये वक़्त भी,
किस तरह ये गुज़र जाता है।

कल का जवान दोस्त मेरा,
आज अधेड़ नज़र आता है। 

ख़्वाब सजाते थे जो कभी ,
आज गुज़रे दिनों में खोने लगे हैं। 

पर ये हकीकत है 
अब सारे दोस्त थकने लगें हैं

Saturday, May 16, 2020

छोटा सा बच्चा ,वो भूखा बहुत है।

छोटा सा बच्चा ,वो भूखा बहुत है।


छोटा सा बच्चा ,वो भूखा बहुत है।
सोचा है उसने कि तितली सा उड़ ले।
किताबों को पकड़े,' सुंदर ' गुड़िया से खेले।।
हुकूमत ने उसके ही ' पर ' क्यों काटे बहुत हैं।
छोटा सा बच्चा ,वो भूखा बहुत है।।

घर पे उन ' दरख़्तों ' की छाया नहीं है।
' छोटी ' ने कल से 'कुछ भी' खाया नहीं है।।
' गरीबों ' की लाइन यहां लंबी बहुत है।
छोटा सा बच्चा ,वो भूखा बहुत है।।

पापा सुबह से कमाने गए हैं।
रईसों के घर को ' बनाने ' गए हैं।।
पापा हैं बूढ़े ,वो थकते बहुत हैं।
छोटा सा बच्चा ,वो भूखा बहुत है।।

मम्मी ने फ़िर से ना खाना बनाया।
बनाती भी कैसे? वो तपती रहीं हैं।।
दवाएं है ' सस्ती ' पर महंगी बहुत हैं।
छोटा सा बच्चा ,वो भूखा बहुत है।।

गन्दी जगह को ' लोग ' घेरे खड़े हैं ।
गाड़ी से दबके पापा कुचले पड़े हैं।।
उस ' आदमी ' को ' अब भी 'जल्दी बहुत है।
छोटा सा बच्चा ,वो भूखा बहुत है।

सुनके ये सब वो ' रोता ' बहुत है।
छोटा सा बच्चा ,वो भूखा बहुत है।।

Saturday, May 9, 2020

साहब, आँसू चीख रहें हैं

साहब, आँसू चीख रहें हैं



साहब, आँसू चीख रहें हैं
कोई तो आवाज़ सुनो
मर न जाये भूख तड़पकर
आसन वाले ताज सुने..

अन्तड़ियाँ हैं इन्तजार में
कब रोटी का स्वाद मिले
आँसू सूख गये पीड़ा में
फिर भी आँखें रांह तके
आँऊगा माँ रोटी लेकर,
बूढी माँ की फरियाद सुनो..
साहब, आँसू चीख रहें हैं
कोई तो आवाज़ सुनो...

भूख तड़पती देखी मैंने
ऐसा भी मंजर देखा
भूखा बच्चा पत्तल चाटें
ऐसा भी इक क्षण देखा
तड़प उठी यह देख ऱूह,
फिर और वेदना फुट पड़ी
भीग गये एहसास अचानक
इक बूंद नयन से छूट पड़ी
सपनों को अब पंख चाहिये
पहले, उनके मन की बात सुनो....
साहब, आँसू चीख रहें हैं
कोई तो आवाज़ सुनो....

Thursday, May 7, 2020

जिंदगी क्या है कोई समझाए मुझे

जिंदगी क्या है कोई समझाए मुझे
यकीन नहीं आता यकीन दिलाए मुझे
गरज के बरसते नहीं है बादल
बादलों से कहो बरस के दिखाए मुझे
मुट्ठी में रेत नहीं होती है कैद
उस रेत की तरह कोई बनाए मुझे
ताकत कोई नुमाइंदिस की चीज नहीं
इसको दूसरों पे आजमाने से बचाए मुझे
सख्त मिजाज रखकर कुछ ना सीख पाऊंगा
सीखने के लिए झुकना कोई सिखाएं मुझे

Tuesday, April 28, 2020

उनकी निगाहों से घायल हुए हम इस कदर

ना जाने कब आँखों-ही-आँखों में शरारत हो गई..... 
हमें पता ही ना चला कब हमें मोहब्बत हो गई..... 

कलतक रहते थे हम जो दोस्तों की भीड में, 
अब तो गुमसुम से रहने की हमें आदत हो गई,.... 

उनकी निगाहों से घायल हुए हम इस कदर, 
अब तो उनके सिवा ना कोई ख्वाहिश रह गई....

सुरूर-ए-इश्क का नासा हम पे एसा चढ़ा की
अब तो जिंदगी की आखरी वो साँस बन गई..... 

लिखने बैठे जब उनकी सोख अदाओं को हम 
मेरी लिखावट ना जाने कब कैसे गजल बन गई..... 

सुकून-ओ-चैन ना जाने मेरा कहीं खो सा गया, 
हालत-ए-इश्क देख मेरा दोस्तों को मेरी चिंता हो गई..... 

यार मेरे सारे पुछने लगे मुझसे बस एक ही सवाल, 
बता "प्रविण" तुझे भी क्या किसी से मोहब्बत हो गई......?? 

बडा छुपाया अपनी राज-ए-मोहब्बत को उनसे, 
पर ना जाने कब मेरी निगाहों में उसकी सूरत दिख गई....!! 

ना जाने कब आँखों-ही-आँखों में शरारत हो गई..... 
हमें पता ही ना चला कब हमें मोहब्बत हो गई..... 

पूर्वांचल एक्स्प्रेस

एसी कोच  से जनरल कोच  तक, जनरल  कोच से एसी  कोच  तक का सफर बताता है।  इस देश में कितनी विविधता है।  जनरल कोच में बैठ के अतीत को देख रहा था ६...