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Friday, March 15, 2024

सरकारी टोटके और सरकार की जनता


बोलोगे तो मारे जाओगे 
हा में हा नही मिलेगी तो मारे जाओगे
उनके रंग में ही रंगना होगा। दूसरा रंग अपनाओगे तो
मारे जाओगे
हक मांगोगे तो कटघरे में खड़े कर दिए जाओगे आवाज 
उठाओगे तो मारे जाओगे ।
उनकी कही बातों को न बोलोगे तो देशद्रोही कहलाओगे
बदलती जा रही है। सरकारी तंत्र की तरह सरकारों की मानसिकताएं जनता के प्रति।
फिर भी आम आदमी के बीच विश्वास कायम है सरकार के प्रति ।
४ लाठी सरकार से पिटता हवा, भ्रष्टाचार से रोज २, ४ होता हुवा इस देश का आदमी, ५ किलो अनाज पाने के बाद उसी सरकार की रैली के लिए भूखे पेट फिर तैयार हो जाता हैं ।जिंदाबाद जिंदाबाद करने के लिए।

हकीकत तो यही बता रहीं है। आज भी इस देश के एक तिहाई लोग की औकात क्या है। आजादी से अब तक।  मैं भी उन हिस्सा का एक पार्ट हु। और गौर से कह सकता हु। की ५ किलो अनाज और ऐसे योजनाएं एक ऐसी दवा है की न बीमारी को ठीक कर सकती है । न दूसरी दवा लेने देगी। पूरा गांव का परिवार जो राशन कार्ड और ५ किलो अनाज की सेवाएं लेते आया है। ओ आज भी इन्ही चीजों में उलझा है। और शिक्षा से वंचित रह गया है। स्कूल भेजने से ज्यादा सरकारी लाभ पाने पे जोड़ दिया जाता रहा है। आधार, पैन कार्ड और फोटो कॉपी से न जाने कब बाहर निकलेगा एक अहम हिस्सा इस देश का। इसका कोई आंकड़ा ही नही है। खैर ५ किलो अनाज को हम ऐसे ही देख रहे है। बाबा की भाबुत की तरह जो बीमारी के लिए बाट रहे लेकिन उससे न बीमारी ठीक हो रही न लोगो का बाबा के प्रति और भाबूत के प्रति विश्वास कम हो रहा। खैर लिखते हुवे भी हम दो हिसो में बट गए हैं। न बाबा के खिलाप लिख पा रहे है न बाबा के तारीफ़ में क्यों की हम भी उसी हिस्से का एक पार्ट जो है। सच बताऊं तो कोई किसी का लहर नही था चुनाव में। बस २००० रूपया और ५ किलो अनाज की लहर थी जो अब तक है। 

(फ्री की ५०० रूपया मिलने पर एक तबके इतना खुश हो जाता है उसे कुछ दिखता ही नही है। गलत सही देने वाले के सिवा। उपहार को ही देख लो लोग पा कर कितना खुश हो जाते है। ये अलग बात है की बकचोदी है की इसमें प्यार होता है। इसमें पैसा की बात नही होती। फिर सस्ते उपहार पे लोग उसका तिरस्कार क्यों करने लगते है। मेरा कहने का मतलब है । की मुक्त में थोड़ी थोड़ी कीमत दे के इंसान से कुछ भी कराया जा सकता है। जैसे सरकार ५ किलो अनाज देकर गरीब से २००० रुपए देकर किसान से। कुछ उपहार देकर आशिक अपनी मसूका से। )

पूर्वांचल एक्स्प्रेस

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