Showing posts with label Love poems. Show all posts
Showing posts with label Love poems. Show all posts

Wednesday, July 22, 2020

कभी ज़हन, कभी दिल, कभी रूह की सुनता हू…

हर दिन अपने लिए एक जाल बुनता हूँ, कभी ज़हन, कभी दिल, कभी रूह की सुनता हूँ| हर रोज़ इम्तिहान लेती है जिंदिगी, हर रोज़ मगर मैं मोहब्बत चुनता हूँ| कभी ज़हन, कभी दिल, कभी रूह की सुनता हू… बहुत दूर चला आया हूँ कारवाँ से, तन्हा रास्तों में एक हमसफ़र ढूंढता हूँ| कभी ज़हन, कभी दिल, कभी रूह की सुनता हूँ… अंधेरों में तुम्हारा चेहरा साफ़ दिखता है, तुम सामने होते हो जब आँख मूंदता हूँ| कभी ज़हन, कभी दिल, कभी रूह की सुनता हूँ… सिर्फ एहसास ए मोहब्बत बन जाता हूँ, जब तेरी ज़बीं को मैं चूमता हूँ| कभी ज़हन, कभी दिल, कभी रूह की सुनता हूँ… तेरे होते हुए सुखन मुमकिन नहीं, तेरे जाते ही अपनी कलम ढूंढता हूँ| कभी ज़हन, कभी दिल, कभी रूह की सुनता हूँ… सब हैरान हैं देख कर रक्स ए इश्क, मैं तेरी वफ़ा में ऐसा झूमता हूँ| कभी ज़हन, कभी दिल, कभी रूह की सुनता हूँ… दिल में आशियाने की आरजू लिए, मैं शहरों शहरों घूमता हूँ| कभी ज़हन, कभी दिल, कभी रूह की सुनता हूँ…

Tuesday, April 28, 2020

उनकी निगाहों से घायल हुए हम इस कदर

ना जाने कब आँखों-ही-आँखों में शरारत हो गई..... 
हमें पता ही ना चला कब हमें मोहब्बत हो गई..... 

कलतक रहते थे हम जो दोस्तों की भीड में, 
अब तो गुमसुम से रहने की हमें आदत हो गई,.... 

उनकी निगाहों से घायल हुए हम इस कदर, 
अब तो उनके सिवा ना कोई ख्वाहिश रह गई....

सुरूर-ए-इश्क का नासा हम पे एसा चढ़ा की
अब तो जिंदगी की आखरी वो साँस बन गई..... 

लिखने बैठे जब उनकी सोख अदाओं को हम 
मेरी लिखावट ना जाने कब कैसे गजल बन गई..... 

सुकून-ओ-चैन ना जाने मेरा कहीं खो सा गया, 
हालत-ए-इश्क देख मेरा दोस्तों को मेरी चिंता हो गई..... 

यार मेरे सारे पुछने लगे मुझसे बस एक ही सवाल, 
बता "प्रविण" तुझे भी क्या किसी से मोहब्बत हो गई......?? 

बडा छुपाया अपनी राज-ए-मोहब्बत को उनसे, 
पर ना जाने कब मेरी निगाहों में उसकी सूरत दिख गई....!! 

ना जाने कब आँखों-ही-आँखों में शरारत हो गई..... 
हमें पता ही ना चला कब हमें मोहब्बत हो गई..... 

Friday, April 24, 2020

एक बूँद इश्क़ पिला दे मुझे




एक बूँद इश्क़ पिला दे मुझेमैं मरने से पहले एक बार जीना चाहता हूँ,
सुना है जहर से ज्यादा खतरनाक है
फिर भी जहाँ की सारी चीजों से ज्यादा पाक है,

ज़माने भर के जाम पी लिए हैं मैंने
तो पता चला कि इसमें नशा सबसे ज्यादा हैं

बहकना है मुझको इसके नशे में
इसलिए इसे भी एक बार पीना चाहता हूँ

एक बूँद इश्क पिला दे मुझे
मैं मरने से पहले एक बार जीना चाहता हूँ।
इसके नशे में एक अलग ही दुनिया का अहसास होता है
जिसको लग जाती है लत इसकी

जागता है रातों को फिर वो कहाँ सोता है,
उठा कर पढ़ लो किताबें ज़माने भर की ये अंदाज है इसका
जिसने भी पिया वो बुरी तरह बर्बाद हुआ है,
रहा नहीं जाता किस्से सुन कर इसके कारनामों के,
पीकर इसे मैं भी बर्बाद होना चाहता हूँ,

एक बूँद इश्क पिला दे मुझे
मैं मरने से पहले एक बार जीना चाहता हूँ।
न दुकानों पर मिलता है न मयखानों पर मिलता है,
बहुत ढूँढा मैंने 
पाया कि ये सिर्फ अरमानों पर मिलता है,
चैन खो गया है इसकी चाहत में बेचैनी सी छायी है,
सुकून चाहता हूँ मुझे इसकी आगोश में खोना चाहता हूँ,
एक बूँद इश्क पिला दे मुझे
मैं मरने से पहले एक बार जीना चाहता हूँ।

Sunday, April 12, 2020

N Jane Kya Kya Bat Karte Ho

U her minutes Mera hall n puchha Karo
Aap ho koin Jo itna Khyal rakhte ho
U her subah sham rat badi sidat se bat Karte ho
hum hai koin Jo itna yad rakhte ho
Jikar Karte kyo ho her bat pe aap ek nya bat rakhte ho
Chand lanho me hi  n Jane Kya Kya aap mujhse bat Karte ho

Saturday, April 4, 2020

Mere Tere Darmiyan

Fikar to tera aaj bhi hai bus jatane ka hak nhi rha MeraMilne ka Dil to aaj bhi hai bus btane ka Hak nhi MeraPehchan to tujhse aaj bhi hai bus Dost kahalane ka Hal nhi rha mera

Sunday, March 1, 2020

तुम आना तो इस बार लौट के मत जाना



तुम आना तो
इस बार लौट कर मत जाना।
मन के बगीचे में हरियाली तुम्ही से
खिले फूलों को फिर से नहीं है मुरझाना।
तुम बिन हर एक क्षण है पतझड़
अकेले तुम बिन अब नहीं है एक पल बिताना।
तुम आओ तो
इस बार लौट कर मत जाना।
तुम बिन हाल एेसा जैसे पानी बिन मछली का
ठीक नहीं ऐसे अपनी प्रिये को तङ़पाना।
मेरे साँसों की नाजुक डोर बँधी तुमसे
अब कठिन है स्वयं को तुमसे दूर रख पाना।
तुम आओ तो 
इस बार लौट कर मत जाना।

Saturday, October 19, 2019

तेरी आरजू

                                      तेरी आरज़ू





शून्य घोर चित्त चंचल में एक दबी है आरज़ू,

तुम्हारी रोज़ की तकरार की आरज़ू,
हमारी भीनी अनदेखी, मुस्कुराहट की आरज़ू,
मेरी भीतर गुज़रती हर कसक की आरज़ू,
तुम रुस्वाई की बात करते हो,
तो समन्दर सी अश्कों से ढलने वाली आरज़ू,
लगता है उधार दी है मैंने तुम्हैं सांसे अपनी,
इन अधूरी सांसो में कटती जिदंगी की आरज़ू,
इतंजार, उम्मीदें और अहसास सब बिखरा सा है,
टूटती निगाहों में लुटती पनाह की आरज़ू,
आखिरी बार जब तुम कहते हो!! ना रहा कुछ,
तो निर्धन सी, यादों की धनी होने की आरज़ू,
अनजान से पहचान का लम्बा सफर गुज़रा,
अब पहचान से अपनेपन की आरज़ू,
तुम जीवन की मांग करते हो,
मेरी तुम संग जीकर मरने की आरज़ू,
ज़माना क्या कहता है!!!!
ना खबर मुझे!! खबरहीन बेसुध,
मेरे इकरार और तुम्हारे इनकार की आरज़ू

पूर्वांचल एक्स्प्रेस

एसी कोच  से जनरल कोच  तक, जनरल  कोच से एसी  कोच  तक का सफर बताता है।  इस देश में कितनी विविधता है।  जनरल कोच में बैठ के अतीत को देख रहा था ६...