इस तूफ़ान से गुज़रते हुए, बदल रही हैं
चीजें । सीख जाओगे एक रोज़ तूफ़ानों में भी शांत रहना। कई लकीरें
उभर आयेंगी चेहरे पर, और उन लकीरों में कहीं छुपी होगी स्वीकृति जीवन की ।
हर छोटी बात पर जो हलचल और बेचैनी महसूस करते हो अभी,
एक रोज़ सीख जाओगे मुस्कुराते हुए चीज़ों को आते जाते देखना ।
जितना सब कुछ ज़रूरी लगता है जीने के लिये, उतने सब की ज़रूरत नहीं होगी ।
जब सीख जाओगे सवालों के हल अपने भीतर ढूँढना
जब जिम्मेदारी आ जायेगी न तब तक परिपक्व हो जाओगे। ये जो बातों बातों पे जो तिलमिलाहट होती हैं न शान्त हो जाओगे बुरी बातें सुन कर भी इक दिन!
इस तूफ़ान से गुज़रते हुए, बदल रही हैं चीजें घड़ी कि सुईयों के साथ टिक टिक। ये जो झरनें कि तरह आवाज कर रहे न। समन्दर बन जाओगे तुम।
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