Monday, February 22, 2021

रिश्ते की उम्र

ओस की बूंदों से,
जाड़े के कोहरे से,
धूप में परछाई से,
बादलों में इंद्रधनुष से,
कब हमसे जुड़ जाते हैं,
कब छूट जाते हैं..
कुछ रिश्ते अपनी उम्र लेकर आते हैं |

कुछ अजीब से होते हैं ये रिश्ते,
बेवजह ही उलझते हैं,
बेवजह ही सुलझते हैं |
पूरे होकर भी अधूरे से,
कुछ अधूरे से पर पूरे से |
कभी बहते हैं गालों पर आंसूं से,
कभी खिलते हैं होठों पर मुस्कान से,
कुछ रिश्ते अपनी उम्र लेकर आते हैं |

आते हैं दबे पाँव,
न कोई दस्तक, न कोई आहट..
हम मशरूफ ही रहते हैं
इनके साथ कल पिरोने में,
पता नहीं चलता रेत की तरह,
कब हाथों से फिसल जाते हैं ,
पलक झपकते ही बीता पल बन जाते हैं..

हाँ…कुछ रिश्ते अपनी उम्र लेकर आते हैं |

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