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Sunday, May 10, 2020

रास्ते और डगर

डगर डगर वही गलियाँ चली हैं साथ मिरे
क़दम क़दम पे तिरा शहर याद आया है

Saturday, May 9, 2020

मां पे कहें गये चन्द लफ्ज़


हालात बुरे थे मगर अमीर बनाकर रखती थी,
हम गरीब थे, ये बस हमारी माँ जानती थी…



भारी बोझ पहाड़ सा कुछ हल्का हो जाए
जब मेरी चिंता बढ़े माँ सपने में आए


मेरी ख़्वाहिश है कि मैं फिर से फ़रिश्ता हो जाऊँ
माँ से इस तरह लिपट जाऊँ कि बच्चा हो जाऊँ
-


इस तरह मेरे गुनाहों को वो धो देती है
माँ बहुत ग़ुस्से में होती है तो रो देती है

घर में झीने रिश्ते मैंने लाखों बार उधड़ते देखे,
चुपके चुपके कर देती है जाने कब तुरपाई अम्मा
 


मैं रोया परदेस में भीगा माँ का प्यार
दुख ने दुख से बातें की बिन चिट्ठी बिन तार
-निदा फ़ाज़ली

मुझे मालूम है मां की दुआएं साथ चलती हैं,
सफ़र की मुश्किलों को हाथ मलते मैंने देखा है
-आलोक श्रीवास्तव


चलती फिरती हुई आँखों से अज़ाँ देखी है
मैंने जन्नत तो नहीं देखी है माँ देखी है
-मुनव्वर राना

एक मुद्दत से मेरी माँ नहीं सोई 'ताबिश'
मैंने इक बार कहा था मुझे डर लगता है 

Friday, May 8, 2020

Sayahi per sawal

Bahut sambhal ke likhna padata hai Jahan ye jajbat per
Burna sayahi per nhi gahrai pe sawal uthte hai

हादसा

मुझ सा अंजान किसी मोड़ पे खो सकता है
हादसा कोई भी इस शहर में हो सकता है

Mumbai accident

भुख दर्द थकान इन्सान को श्मसान में भी सोने पे मजबूर कर देता है
फिर उन्होंने क्या गुनाह कर दिया जो रेल के पटरियों पर सो गए

जिन्दगी और किस्मत

उस दिन से पानियों की तरह बह रहे हैं हम
जिस दिन से पत्थरों का इरादा समझ लिया
- सईद अहमद

ज़िंदगी इक नई राह पर
बे-इरादा ही चलने लगी
- असर अकबराबादी

जिन के मज़बूत इरादे बने पहचान उन की
मंज़िलें आप ही हो जाती हैं आसान उन की
- अलीना इतरत


था इरादा तिरी फ़रियाद करें हाकिम से
वो भी एे शोख़ तिरा चाहने वाला निकला
- नज़ीर अकबराबादी

आज फिर मुझ से कहा दरिया ने
क्या इरादा है बहा ले जाऊँ
- मोहम्मद अल्वी

आसमाँ अपने इरादों में मगन है लेकिन
आदमी अपने ख़यालात लिए फिरता है
- अनवर मसूद

Saturday, May 2, 2020

तेरी आरजू

तुम्हे आरजू है चाहत की और, मेरे दिल में प्यार का समंदर है,
पर चाहता हूं तुम्हें थोड़ा-थोड़ा, क्योंकि तेरे बह जाने का डर है। 

Wednesday, April 29, 2020

रातों पे चुनिंदे शायरी

रात को रात हो के जाना था
ख़्वाब को ख़्वाब हो के देखते हैं
""""''''''''"""""""""""'
रेत पर रात ज़िंदगी लिक्खी
सुब्ह आ कर मिटा गईं लहरें
""''''""""'''"""""''''''''''''
ऐ रात मुझे माँ की तरह गोद में ले ले 
दिन भर की मशक़्क़त से बदन टूट रहा है 
''''''''''''''''''''''"'''''''''''''''''''
ये तन्हा रात ये गहरी फ़ज़ाएँ 
उसे ढूँडें कि उस को भूल जाएँ 

Tuesday, April 28, 2020

ख्यालों का आसमान

आसमाँ अपने इरादों में मगन है लेकिन
आदमी अपने ख़यालात लिए फिरता है

Monday, April 6, 2020

तेरा मिलना

सुरज के उजाले में मिलें होते तो गौर से देखा होता
यु हर शाम मिलना तेरा कुछ अधुरा सा लगा

पूर्वांचल एक्स्प्रेस

एसी कोच  से जनरल कोच  तक, जनरल  कोच से एसी  कोच  तक का सफर बताता है।  इस देश में कितनी विविधता है।  जनरल कोच में बैठ के अतीत को देख रहा था ६...