एक दिन मै,
अनमना सा
इस ज़िंदगी को
पिछली ज़िंदगी से
नापने तोलने लगा!
मन के उठते तूफानों को
यादों के बियाबनो से
ढूँढ ढूँढ कर
बीते लम्हों के
खोये सपनो को
आंसुओं मे घोलने लगा
कुछ पुराने बक्से टटोले,
धूल से भरी डाय्रिओं के
पीले हुए पन्ने खोले,
बीते दिनों के अक्सों को
अपने ज़हन के परदे की
परतों को खोलने लगा!
मन के किसी कोने से
निकलने लगे यादों के कई चेहरे,
उन्ह लम्हों को याद कर
जब लेह्राए थे मेरे ख़बावों के सेहरे,
राख मे दबी हुई चिंगारीओं
फ़िर से झंझोड़ने लगा!
आज मेरी आंखों मे
अतीत के साए खड़े है,
सच्चाई कड़वी लगती है
पर एहसास सब खरे है,
इन यादो को अब ब्लाग मे
लिख कर उतारने लगा!
Showing posts with label thoughts. Show all posts
Showing posts with label thoughts. Show all posts
Sunday, October 11, 2020
Subscribe to:
Comments (Atom)
बचपन बच्चों जैसा होना चाहिए
बरसात के दिनों में क्लास में बच्चों को घर जा के बरामदे और बंगले में बैठ के पढ़ने की बातें सुनते हुए हमने घर जा के त्रिपाल को बांस के खंभों म...
-
ज़िंदगी के ऐसे कई मसले होते है जो हम अंदर ही अंदर बिना किसी से कुछ कहे बस लड़ रहे होते है। वो चाहे फिर घर की परेशानियां हो, कैरियर की हो, पा...
-
चूल्हे चौका, बिंदी, टीका, और घूंघट से निकलकर महिलाओं को। देश, नौकरी, राजनीति, समाज, पे बाते करने तक का सफर सदियों से आज तक एक मील नहीं चल पा...
-
It all started back in 2014 when I first saw her. It was first day of my college life and I was late for the class . As I entered th...
-
सन २०२० चल रहा था पुरी दुनिया में खलबली मची हुई थी।,करोना वायरस का आक्रमण पुरी दुनिया में फ़ैल चुका था चारों तरफ लाशों का ढेर लगी हुआ थी को...
-
इस तूफ़ान से गुज़रते हुए, बदल रही हैं चीजें । सीख जाओगे एक रोज़ तूफ़ानों में भी शांत रहना। कई लकीरें उभर आयेंगी चेहरे पर, और उन लकीरों में क...
-
पुराने ज़माने की बातें जब भी सुनता हूँ, तो लगता है—सच में कुछ ख़ास नहीं बदला है। यहाँ अब भी वही पुरानी चीज़ें हो रही थीं, वहां इ...
-
यह कैसी है दिल्ली भाई। हमको कुछ समझ न आई।। पहाड़गंज में 'पहाड़' नहीं दरियागंज में 'दरिया' नहीं।। चाँदनी चौक में कहाँ ...
-
तुम आना तो इस बार लौट कर मत जाना। मन के बगीचे में हरियाली तुम्ही से खिले फूलों को फिर से नहीं है मुरझाना। तुम बिन हर एक क्षण है पतझ...