Sunday, March 1, 2020

तुम आना तो इस बार लौट के मत जाना



तुम आना तो
इस बार लौट कर मत जाना।
मन के बगीचे में हरियाली तुम्ही से
खिले फूलों को फिर से नहीं है मुरझाना।
तुम बिन हर एक क्षण है पतझड़
अकेले तुम बिन अब नहीं है एक पल बिताना।
तुम आओ तो
इस बार लौट कर मत जाना।
तुम बिन हाल एेसा जैसे पानी बिन मछली का
ठीक नहीं ऐसे अपनी प्रिये को तङ़पाना।
मेरे साँसों की नाजुक डोर बँधी तुमसे
अब कठिन है स्वयं को तुमसे दूर रख पाना।
तुम आओ तो 
इस बार लौट कर मत जाना।

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