सुरज के उजाले में मिलें होते तो गौर से देखा होता
यु हर शाम मिलना तेरा कुछ अधुरा सा लगा
यु हर शाम मिलना तेरा कुछ अधुरा सा लगा
V inod Kushwaha हर नई पीढ़ी आती है बड़ी होती है और कोई एक्सप्रेस पकड़ती है दूर दराज शहर को चली जाती है। सदियों से ये हमारी...
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