सुरज के उजाले में मिलें होते तो गौर से देखा होता
यु हर शाम मिलना तेरा कुछ अधुरा सा लगा
यु हर शाम मिलना तेरा कुछ अधुरा सा लगा
बरसात के दिनों में क्लास में बच्चों को घर जा के बरामदे और बंगले में बैठ के पढ़ने की बातें सुनते हुए हमने घर जा के त्रिपाल को बांस के खंभों म...
No comments:
Post a Comment