कैद हैं इन्सान पंछियों की तरह अब जी कहा रहें हैं
हम इन्सान हों के इन्सानों की तरह
हम इन्सान हों के इन्सानों की तरह
बरसात के दिनों में क्लास में बच्चों को घर जा के बरामदे और बंगले में बैठ के पढ़ने की बातें सुनते हुए हमने घर जा के त्रिपाल को बांस के खंभों म...
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