तुम्हे आरजू है चाहत की और, मेरे दिल में प्यार का समंदर है,
पर चाहता हूं तुम्हें थोड़ा-थोड़ा, क्योंकि तेरे बह जाने का डर है।
पर चाहता हूं तुम्हें थोड़ा-थोड़ा, क्योंकि तेरे बह जाने का डर है।
बरसात के दिनों में क्लास में बच्चों को घर जा के बरामदे और बंगले में बैठ के पढ़ने की बातें सुनते हुए हमने घर जा के त्रिपाल को बांस के खंभों म...
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