Thursday, December 17, 2020

ढुंढ लो मुझमें खुद को

मुझको सताने को कोई वजह ढूंढ लो,
नहीं है तो बेवजह की कोई वजह ढूंढ लो,

रूठना मनाना यहीं तो है रिश्ता निभाना,
पास रहने का कोई तो वजह ढूंढ लो,

उदासी से अच्छा है गुस्सा तेरा,
मुझपे बरसने मेरी कोई खता ढूंढ लो,

जो तू कहे तो मान लूं मैं हूँ मुजरिम तेरा,
देने कोई अच्छी सी सजा ढूंढ लो,

जो तू कहे तो बन जाऊं मैं मसखरा,
मुस्कुराने की न हो कोई वजह तो ये वजह ढूंढ लो,

बनके कोई न कोई वजह संग हूँ मैं तेरे सदा,
कोई मुझसा न मिलेगा यहाँ चाहो तो सारा जहाँ ढूंढ लो।

No comments:

Post a Comment

पूर्वांचल एक्सप्रेस

            V inod Kushwaha   हर नई पीढ़ी आती है बड़ी होती है और कोई एक्सप्रेस पकड़ती है दूर दराज शहर को चली जाती है। सदियों से ये हमारी...