एक लड़का, उम्र कोई नौ दस साल,
टकटकी लगाए मुझे देख रहा था,
मैले कपडे, चेहरे पर ख़ामोशी की,
गहरी रेखाएं,
आँखों में गहरी दार्शनिकता,
मैं कुछ पल उसकी आँखों में डूबता उतरता रहा,
तभी उसका दायाँ हाथ हवा में उठा,
और दो उँगलियाँ उसके होंठों पर बैठ गयीं,
अगले पल उसके मुहँ से धुवाँ निकला,
और हाथ फिर से कंधे पर झूल गया,
उन उँगलियों में फंसी सुर्ख सी चिंगारी,
हंस रही थी,
मैंने ताज्जुब से (शायद) उसके चेहरे को देखा,
वही उदासी बरकरार थी,
मगर उसकी आँखों ने शायद,
मेरे चेहरे के भाव पढ़ लिए थे,
वो मुंह फेर कर बैठ गया,
मैं असहाय सा उसे देखता रहा,
काश...मैं उसकी नन्हीं उँगलियों से,
छीन कर वो सिगरेट
थमा सकता एक पेंसिल और,
उसकी सूनी आँखों पर,
बिछा सकता ये आसमां का कैनवस,
जहाँ वो अपने मन को उंडेल सकता,
वो ढूँढ पाटा वो मासूमियत के निशाँ,
जो उसके चेहरे से नदारद थे...
Friday, January 1, 2021
एक लड़का। मासुम सा
Labels:
real story
Location:
Gurugram, Haryana, India
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