वो बात अपनी निभाये जा रही है
हम हैं की झूठ बोले जा रहे हैंवो मेरे क़रीब आते जा रही है
हम हैं की उनसे दूर जा रहे हैं
वो रिश्तों में बंधे जा रही है
हम हैं कि दुनियाँ की परवाह किये जा रहे हैं
वो मुझे अपना बनाये जा रही है
हम हैं की उन्हें ग़ैर समझ रहे हैं
वो मेरी खुशियाँ संजोये जा रही है
हम हैं की उन्हें समझ नहीं रहे हैं
वो मेरे साथ जीना चाह रही है
हम हैं की उसके बग़ैर जीना चाह रहे हैं
बात बस इतनी सी है कि
हम उन्हें समझाना नहीं चाहते
और वो समझन नहीं चाहती
उनके बगैर हम जीना नहीं चाहते
वो है की इस बात को समझना नहीं चाहती
उनके बगैर हम जीना नहीं चाहते
वो है की इस बात को समझना नहीं चाहती
vinod kushwaha
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