Tuesday, January 3, 2023

एक वक्त था।

एक वक्त था। कुछ लोग थे। कुछ शौक था। कुछ सपने थे। कुछ दोस्त थे। सब अपने थे. कुछ कहते हैं। कुछ सुनते थे। लबो पे हंसी थी। गम बहुत कम था।
अब न वक़्त है। न ल़ोग है। न शौक है। न दोस्त है। न कोई सुनता है। न कोई सुनाता है। न लबो पे हंसी है। अब जो गम है ओ हरदम है।
-कुछ छुटने की। कुछ रूठने की। कुछ टूटने की। कुछ अपनो की। कुछ सपनों की।
-एक वक्त था। कुछ लोग थे. कुछ शौक था।  कुछ दोस्त थे। कुछ बते थी। कुछ कहने को कुछ सुनने को। कुछ ख्वाब अधूरे बुनने को। कुछ किताबे थी। कुछ कलम थे. चंद सिक्के थे। कुछ इक बैग था। इक साइकिल थी. हम चले थे आसमा छूने को.

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