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पूर्वांचल एक्सप्रेस
V inod Kushwaha हर नई पीढ़ी आती है बड़ी होती है और कोई एक्सप्रेस पकड़ती है दूर दराज शहर को चली जाती है। सदियों से ये हमारी...
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इस तूफ़ान से गुज़रते हुए, बदल रही हैं चीजें । सीख जाओगे एक रोज़ तूफ़ानों में भी शांत रहना। कई लकीरें उभर आयेंगी चेहरे पर, और उन लकीरों में क...
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चूल्हे चौका, बिंदी, टीका, और घूंघट से निकलकर महिलाओं को। देश, नौकरी, राजनीति, समाज, पे बाते करने तक का सफर सदियों से आज तक एक मील नहीं चल पा...
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मजदूर दिवस क्यों मनाया जाता है, 2020 मजदूर का मतलब हमेशा गरीब से नहीं होता हैं, मजदूर वह ईकाई हैं, जो हर सफलता का अभिन्न अंग हैं,...
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पुराने ज़माने की बातें जब भी सुनता हूँ, तो लगता है—सच में कुछ ख़ास नहीं बदला है। यहाँ अब भी वही पुरानी चीज़ें हो रही थीं, वहां इ...
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ओस की बूंदों से, जाड़े के कोहरे से, धूप में परछाई से, बादलों में इंद्रधनुष से, कब हमसे जुड़ जाते हैं, कब छूट जाते हैं.. कुछ रिश्ते अपनी उम्र ल...
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साहब, आँसू चीख रहें हैं साहब, आँसू चीख रहें हैं कोई तो आवाज़ सुनो मर न जाये भूख तड़पकर आसन वाले ताज सुने.. अन्तड़ियाँ हैं ...
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बोलोगे तो मारे जाओगे हा में हा नही मिलेगी तो मारे जाओगे उनके रंग में ही रंगना होगा। दूसरा रंग अपनाओगे तो मारे जाओगे हक मांगोगे तो कटघरे में...
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एसी कोच से जनरल कोच तक, जनरल कोच से एसी कोच तक का सफर बताता है। इस देश में कितनी विविधता है। जनरल कोच में बैठ के अतीत को देख रहा था ६...
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