एक मजदूर दो वक़्त की रोटी कमाने के लिये,
किसी चौराहे पर खड़ा सोचता है,
कि काश कुछ काम मिल जाये,
"'"""""""""""""""""'''''''''''''
माँ का ख्याल जब आता है,
तन से पसीना छूट जाता है,
रोटी के बिन जिस भूखी माँ ने,
दूध पिलाया अब वह बूढ़ी हो चली,
किसी चौराहे पर खड़ा सोचता है,
कि काश कुछ काम मिल जाये,
"'"""""""""""""""""'''''''''''''
माँ का ख्याल जब आता है,
तन से पसीना छूट जाता है,
रोटी के बिन जिस भूखी माँ ने,
दूध पिलाया अब वह बूढ़ी हो चली,
No comments:
Post a Comment