Friday, May 8, 2020

एक मजदूर दो वक़्त की रोटी

एक मजदूर दो वक़्त की रोटी कमाने के लिये,
किसी चौराहे पर खड़ा सोचता है,
कि काश कुछ काम मिल जाये,


"'"""""""""""""""""'''''''''''''
माँ का ख्याल जब आता है,
तन से पसीना छूट जाता है,
रोटी के बिन जिस भूखी माँ ने,
दूध पिलाया अब वह बूढ़ी हो चली,

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