Friday, May 8, 2020

जिन्दगी और किस्मत

उस दिन से पानियों की तरह बह रहे हैं हम
जिस दिन से पत्थरों का इरादा समझ लिया
- सईद अहमद

ज़िंदगी इक नई राह पर
बे-इरादा ही चलने लगी
- असर अकबराबादी

जिन के मज़बूत इरादे बने पहचान उन की
मंज़िलें आप ही हो जाती हैं आसान उन की
- अलीना इतरत


था इरादा तिरी फ़रियाद करें हाकिम से
वो भी एे शोख़ तिरा चाहने वाला निकला
- नज़ीर अकबराबादी

आज फिर मुझ से कहा दरिया ने
क्या इरादा है बहा ले जाऊँ
- मोहम्मद अल्वी

आसमाँ अपने इरादों में मगन है लेकिन
आदमी अपने ख़यालात लिए फिरता है
- अनवर मसूद

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