Saturday, November 28, 2020

अकेलापन

अकेलापन एक सार्वभौमिक मानवीय भावना हैजो दिनो-दिनो जटिल होती जा रही है. अकेले में अकेला होना तो समझ में आता है, पर कभी-कभीं इंसान भीड़ में भी अकेला हो जाता है, यह अकेलापन जानलेवा होता है और यदि समय रहते इसका इलाज न किया जाए तो किसी मानसिक रोग का रूप धारण कर लेता है। ऐसे में अकेलेपन के मनोविज्ञान को समझना बहुत जरूरी हो जाता है.  अकेलेपन का कोई एक कारण नहीं होता, यह कई कारणों की लंबी कड़ी होती है. अकेलेपन का स्वरूप अस्थायी भी हो सकता है और स्थायी भी. अकेलेपन के शिकार लोगों को अक्सर दोस्त बनाने में कठिनाई होती है. अकेला शब्द के साथ ही विभिन्न कारणस्वास्थ्य परिणामलक्षण और अकेलेपन के लिए संभावित उपचार सभी समाहित हैं.
अकेलापन क्या है?
सामान्यतयः अकेलेपन को आमतौर पर एकांत या अकेले रहने की स्थिति के रूप में परिभाषित किया जाता हैअकेलापन वास्तव में मन की एक अवस्था है. अकेलापनखाली, अकेले और अवांछित महसूस करने का कारण बनता है. लोग जो अकेले होते है उनमें अक्सर मानवीय संपर्क लालसा प्रबल होती हैलेकिन उनके मन की अवस्था लोगों के साथ सम्पर्क स्थापित करने में मुश्किल पैदा करती है.
विशेषज्ञों की मानें तो अकेलेपन का अर्थ शब्दशः न लेकर अकेलेपन की धारणा के रूप में लिया जाना चाहिए, वह ज्यादा उचित होगा। उदाहरण के किसी नयी जगह पर ज्यादातर व्यक्ति बहुत सारे लोगों के बीच होते हुए भी स्वयं को अलग-थलग और अकेला महसूस करते हैं. यह कालेज जाने वाले विद्यार्थी से लेकर देश की सुरक्षा के ले नियुक्त सिपाहियों पर समानतौर पर लागू होती है.
अकेलेपन के क्या कारण
मनोवैज्ञानिकों का दृढ़ मत है की अकेलापन का आनुवंशिकी से सीधा संबंध है. अन्य कारकों में हैं नया स्थान, पारिवारिक अलगाव, रिश्तों का टूटना या स्थितिजन्य परिस्थतियां. किसी की मौत भी अकेलेपन की भावनाओं को जन्म दे सकती है. अगर समय पर इसका उपचार न हो तो अकेलापन अवसाद जैसे मनोवैज्ञानिक विकार का एक लक्षण भी बन सकता है.
अकेलेपन के आंतरिक कारकों के रूप में कम आत्म सम्मान को भी जिम्मेदार ठहराया जा सकता है. जिन लोगों में आत्मविश्वास की कमी होती है वे अकसर नये लोगों से मित्रता कर पाने में स्वयं को आयोग्य पाते हैं. इसके कारण अपने आप में विश्वास की कमी के कारण है ये लोग अक्सर स्वयं को अन्य लोगों के ध्यान या संबंध के अयोग्य मानते हैं जिसके कारण वे अलगाव और अकेलेपन का शिकार हो जाते हैं.
अकेलेपन के कारण होने वाले स्वास्थ्य संबंधी परेशानी
अकेलापन मानसिक और शारीरिक दोनों प्रकार के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव डालता है. उनमें से कुछ निम्न हैः
• अवसाद और आत्महत्या
• हृदय रोग और स्ट्रोक
• बढ़ता तनाव का स्तर
• याददाश्त में कमी और नयी चीज सीखने में वक्त लगना
• असामाजिक व्यवहार
• निर्णय लेने में कठिनाई
• शराब और नशीली दवाओं के दुरुपयोग
• अल्जाइमर रोग हो सकता है
• मस्तिष्क क्रियांन्वयन शैली में परिवर्तन
शोधों से पता चला है की अकेलापन तनावहृदय स्वास्थ्य और प्रतिरोधक क्षमता प्रभावित कर सकता है. लेकिन यह केवल इन्ही क्षेत्रों को प्रभावित नहीं करता है बल्कि सामाजिक मानवीय संबंधों को भी प्रभावित करता है. अकेले रहने वाले वयस्क उन व्यस्कों की तुलना में जो परिवार के साथ रहते हैं तथा मानसिक रूप से अकेले नहीं होते, अधिक शराब पीते हैं और कम व्यायाम करते हैं. उनके आहार में वसा अधिक होता है तथा उन्हें नींद कम आती है और वे दिन के समय भी अधिक थकान की शिकायत करते हैं. अकेलापन शरीर के भीतर गहरे सेलुलर प्रक्रियाओं के विनियमन को बाधित करता है.
 शोधकर्ताओं के अनुसार निम्न स्तर का अकेलापन शादीउच्च आय और उच्च शिक्षा की स्थिति के साथ जुड़ा होता है. अकेलेपन के उच्च स्तर पर रहने वाले लोगशारीरिक स्वास्थ्य के लक्षणों के साथ जुड़े होते हैंतथा इनके सामाजिक नेटवर्क और रिश्तों की गुणवत्ता में कमी पाई जाती है.
 अकेलेपन के लक्षण
अभी तक हम लोग अकेलेपन की समस्या को पश्चिम के देशों से जोड़कर देखते थे। भारत में सयुक्त परिवार की परम्परा होने के कारण अकेलेपन को कभी समस्या के रूप में नहीं देखा गया, परंतु जब से एकल परिवार की संख्या में वृद्धि हुई है यहां भी पश्चिमी देशों की तरह अकेलेपन की समस्या में भारी बढ़ोत्तरी हुई है। विशेषज्ञों का मानना है की यदि किसी व्यक्ति के तीन से चार घनिष्ठ मित्र हैं तो वह अकेलेपन के होने के कारण होने वाले शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य संबंधी नकारात्मक प्रभावों से आराम से लड़ सकता है. ऐसा न होने पर वह अवसादग्रस्त भी हो सकता है.
अकेलेपन का उपचार और रोगथाम
1.   अगर आप अकेलेपन के शिकार है तो सीधा सा अर्थ है की वर्तमान परिस्थितियों में कुछ परिवर्तन की जरूरत है.
2.   अकेलेपन के कारण आपके जीवन में पड़ने वाले शारीरिक और मानसिक परिवर्तनों को समझने का प्रयास करिए.
3.   समाज सेवा या अन्य कोई काम जिसे करने से आपको खुशी मिलती हो, उसे करें. इस तरह आपको बहुत सारे लोगों से मिलने का अवसर मिलेगा और नए मित्र भी बनेंगे.
4.   उन लोगों के साथ रिश्ते बनाइए जो सोच के स्तर में आपके समान हों तथा व्यवहार, हितों और मूल्यों को सांझा करने वाले लोग हों.
5.   अकेले लोग अकसर अस्वीकृत होने के भय से भयभीत रहते हैइसलिए अस्वीकृति के भय
से निकलकर सकारात्मक विचारों और अपने सामाजिक संबंधों पर ध्यान दें.
अकेलापन किसी रोग से कम नहीं है. ये लोग बहुत इमोसनल होते हैं हर्ट भी बहुत जल्दी होते हैं. अगर आप अकेलेपन के शिकार हैं तो फेसबुक पर मित्रता मत तलाशिए, ये स्थायी नहीं होती उल्टे ज्यादातर इनका अंत नकारात्मक बिंदु पर ही होता है। इसलिए आभासी दुनिया से निकलकर वास्तविकता के धरातल पर मित्र बनाइए ताकि मतभेद होने की स्थिति पर आमने-सामने बैठकर बात की जा सकें, न की फ्रैंडशिप डिलीट बटन दबाकर उसे और अकेलेपन में ढकेल दिया जाए. कहने का सीधा सा मतलब है मित्रता करिए, पर भावनाओं में बहकर नहीं, अच्छी तरह ठोंक बजाकर ताकि आप अकेले न रहे, सुख-दुःख में आपका दोस्त आपके साथ खड़ा हो.

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