Monday, October 4, 2021

इक एहसास

जैसे रह जाती है बारिश के बाद
हवा में सौंधी सी महक
भोर के उजाले में
मिटता हुआ आधा चांद
सर्दियों की रेत पर
जगमगाते सितारे।
जैसे रह जाता हैं नवम्बर में गर्मी
वैसे ही
तुम्हारी हंसी में डूबे पल
कुछ तेरे साथ बीता हुआ कल
रह जायेंगे मेरे पास।
तुम चले जाओगे
या हम चले जायेंगे कहीं
पर थोड़ा सा यहां रह जाओगे।
इस दिल के कोने में। तुम हममें

No comments:

Post a Comment

पूर्वांचल एक्सप्रेस

            V inod Kushwaha   हर नई पीढ़ी आती है बड़ी होती है और कोई एक्सप्रेस पकड़ती है दूर दराज शहर को चली जाती है। सदियों से ये हमारी...