चीखे मेरी कलमो की
मेरी सोच मेरी कलम से, कहानी, पोएम, नोवेल, एहसास और कलम, हिंदी साहित्य
Thursday, April 4, 2024
पूर्वांचल एक्स्प्रेस
Friday, March 15, 2024
सरकारी टोटके और सरकार की जनता
हकीकत तो यही बता रहीं है। आज भी इस देश के एक तिहाई लोग की औकात क्या है। आजादी से अब तक। मैं भी उन हिस्सा का एक पार्ट हु। और गौर से कह सकता हु। की ५ किलो अनाज और ऐसे योजनाएं एक ऐसी दवा है की न बीमारी को ठीक कर सकती है । न दूसरी दवा लेने देगी। पूरा गांव का परिवार जो राशन कार्ड और ५ किलो अनाज की सेवाएं लेते आया है। ओ आज भी इन्ही चीजों में उलझा है। और शिक्षा से वंचित रह गया है। स्कूल भेजने से ज्यादा सरकारी लाभ पाने पे जोड़ दिया जाता रहा है। आधार, पैन कार्ड और फोटो कॉपी से न जाने कब बाहर निकलेगा एक अहम हिस्सा इस देश का। इसका कोई आंकड़ा ही नही है। खैर ५ किलो अनाज को हम ऐसे ही देख रहे है। बाबा की भाबुत की तरह जो बीमारी के लिए बाट रहे लेकिन उससे न बीमारी ठीक हो रही न लोगो का बाबा के प्रति और भाबूत के प्रति विश्वास कम हो रहा। खैर लिखते हुवे भी हम दो हिसो में बट गए हैं। न बाबा के खिलाप लिख पा रहे है न बाबा के तारीफ़ में क्यों की हम भी उसी हिस्से का एक पार्ट जो है। सच बताऊं तो कोई किसी का लहर नही था चुनाव में। बस २००० रूपया और ५ किलो अनाज की लहर थी जो अब तक है।
Wednesday, February 14, 2024
ख्वाहिशों की अंतिम तिथि
Tuesday, November 28, 2023
रूढ़िवादी विचारधारा और महिला सशक्तिकरण
Friday, October 13, 2023
अस्तित्व
Friday, September 29, 2023
अतीत जज़्बात आज और हम
पूर्वांचल एक्स्प्रेस
एसी कोच से जनरल कोच तक, जनरल कोच से एसी कोच तक का सफर बताता है। इस देश में कितनी विविधता है। जनरल कोच में बैठ के अतीत को देख रहा था ६...
-
बर्फ़ बिखरने लगती है रातों को दरख़्तों पर ... सब आवाजें खामोशियों में कहीं गुम हो जाती हैं ... मन का शोर शराबा तब बहुत साफ सुनाई पड़ता है .....
-
एसी कोच से जनरल कोच तक, जनरल कोच से एसी कोच तक का सफर बताता है। इस देश में कितनी विविधता है। जनरल कोच में बैठ के अतीत को देख रहा था ६...
-
चूल्हे चौका, बिंदी, टीका, और घूंघट से निकलकर महिलाओं को। देश, नौकरी, राजनीति, समाज, पे बाते करने तक का सफर सदियों से आज तक एक मील नहीं चल पा...
-
to WHAT IS SMILING DEPRESSION Usually, depression is associated with sadness, lethargy, and despair — someone ...
-
मैं हर रोज देखता हूँ. सडक पर आते जाते शाम को किताबों को हाथ में लिए लाइब्रेरी या कोचिंग से वापस लौटते हुए लड़के लड़कियाँ को चेहरे पर उदासी ...
-
बचपन की सुनहरी यादें और बचपन के खेल मनुष्य जीवन का सबसे सुनहरा पल बचपन है, जिसे पुनः जी लेने की लालसा हर किसी के मन में हमेशा बनी रहती ...
-
इस तूफ़ान से गुज़रते हुए, बदल रही हैं चीजें । सीख जाओगे एक रोज़ तूफ़ानों में भी शांत रहना। कई लकीरें उभर आयेंगी चेहरे पर, और उन लकीरों में क...
-
साहब, आँसू चीख रहें हैं साहब, आँसू चीख रहें हैं कोई तो आवाज़ सुनो मर न जाये भूख तड़पकर आसन वाले ताज सुने.. अन्तड़ियाँ हैं ...