चंद बातें, मुलाकातें,
बेरहम ये रातें,
ख़ामोश सी तेरी बातें
मै जागु सारी रातें
वो बोलती बहुत है,
पर ख़ामोशी हर तरफ़ हैं..
मेरा महसूस करना, उसका हर रंग बदलना,
पल में रूलाना, फिर हर ग़म भुलाना..
मै ढुढू तुझसे बात करने का बहाना
कभी दिन भर की जिंदगी,
तो कभी जिंदगी भर चलती..
हर उलझन में उस से ही,
मुझ को राहत हैं मिलती..
बस ऐसी ही तो हैं,
हर रोज़ की कहानी..
कभी उसकी ज़बानी,
तो कभी मेरी ज़बानी..
कभी उसको मैं पढ़ता,
कभी खुद से पढ़ाती..
वो किताब सी है वो,
मेरी हर रात की हैं साथी..
इक किताब, जो बस नाम हैं बदलती,
सिखाती बहुत कुछ,
बस अंजाम हैं बदलती..
बस ऐसी ही तो हैं,
हर रोज़ की कहानी..
कभी उसकी ज़बानी,
तो कभी मेरी ज़बानी..
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