कभी-कभी जब हम भीतर से बहुत भरे हुए होते हैं
तो सभी कुछ कितना उदास सा लगता है ना,
कभी-कभी कितनी ताकत चाहिए होती है
आईने के सामने खड़े होकर खुद से नज़रें मिलाने में,
कभी-कभी कितना मुश्किल होता है
मां के हाल पूछने पर
सिर्फ इतना कहना की... ठीक हूँ माँ।
V inod Kushwaha हर नई पीढ़ी आती है बड़ी होती है और कोई एक्सप्रेस पकड़ती है दूर दराज शहर को चली जाती है। सदियों से ये हमारी...
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