कितनी बड़ी होती है
इक छोटी सी मुस्कुराहट भी ...
टूटे मकानों भूखे पेटों और ठिठुरते बदनों को भी ...
कुछ पल के लिए अपने अंदर छुपा लेती है ...
बरसात के दिनों में क्लास में बच्चों को घर जा के बरामदे और बंगले में बैठ के पढ़ने की बातें सुनते हुए हमने घर जा के त्रिपाल को बांस के खंभों म...
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