Saturday, March 26, 2022

मुस्कान

कितनी बड़ी होती है
इक छोटी सी मुस्कुराहट भी ...
टूटे मकानों भूखे पेटों और ठिठुरते बदनों को भी ...
कुछ पल के लिए अपने अंदर छुपा लेती है ...

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