कितनी बड़ी होती है
इक छोटी सी मुस्कुराहट भी ...
टूटे मकानों भूखे पेटों और ठिठुरते बदनों को भी ...
कुछ पल के लिए अपने अंदर छुपा लेती है ...
V inod Kushwaha हर नई पीढ़ी आती है बड़ी होती है और कोई एक्सप्रेस पकड़ती है दूर दराज शहर को चली जाती है। सदियों से ये हमारी...
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