रेगिस्तान में पानी की कमी है
लिहाजा वहां पेड़ो की पत्तियों ने कठोर
काटें बनकर बचाया अपना अस्तित्व;
जिनके जीवन में प्रेम की कमी है
वे स्वयं को बचाने के लिए पत्थर में
तब्दील जाते हैं। कठोर होने का मतलब निष्क्रीय
होना नहीं हैं। कठोर होना टुटने से बचना भी है।
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