बरसो पुरानी सी वो यादें थी
एहसास तो उसका क्या ही कहे आज हम
कुछ दिलचस्प सी उसकी बातें थी
जिक्र तो उसका क्या ही करे आज हम
वाक़िफ थे जिसके मुक्कदर से
फरियाद तो उसकी क्या ही करे आज हम
मासूम सी जिसकी मुहब्बत थी
नुमाइश तो उसकी क्या ही करे आज हम
हकीकत सी थी वोह ज़िंदगी की
दर्द उसका क्या ही कहे आज हम
खुद लफ्जो की वोह मल्लिका थी
अफसाना तो उसका क्या ही लिखे आज हम
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