Friday, October 15, 2021

ढुंढता है मन मेरा

           कोई रात का कायल है अंधेरा ढूंढता है ...
           कोई सुबह होने पर भी सवेरा ढूंढता है ...
           कोई ढूंढता है मकान एक घर बनाने को
          कोई घर में रहते हुए भी बसेरा ढूंढता है ..
        कोई ढूंढता है मिल जाये कोई साथ देने के लिए 
          कोई हर किसी में उसके बिखरे हुए ईश्क़ का 
      चेहरा  ढूंढता है ...
      कोई ढूंढता है खुद का मन भरने के लिए कुछ भी 
      कोई भरा हुआ है इतना के वो इक लुटेरा ढूंढता है .
        सुना है के मन से ढूंढो कुछ तो मिल भी जाता है
     इसीलिए मेरे खोये हुए मन को, मन ये मेरा ढूंढता है 

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