कोई इतना बिजी नहीं होता कि हफ़्ते, महीने में किसी से
बात करने का वक़्त ना निकाल पाए ! बात है प्राथमिकता
की, और यह महसूस करने की कि कोई आपसे बात करके
,ख़ुद को बेहतर महसूस करता या नहीं! याद रखिये लोग
आपसे मोहब्बत नहीं करते, लोग आपके उस हिस्से से
मोहब्बत करते हैं जो काफ़ी कुछ उनके जैसा है, जो उनके
सुकून, सामर्थ्य और पहचान के आड़े नहीं आता ! या फिर
आप एक ऐसे रिश्ते में हैं जो बिल्कुल निःस्वार्थ है - जैसे
कि माँया पिता का एक बच्चे से, सम्भवतः उम्र भर !
No comments:
Post a Comment