तो गैस की गुब्बारों की तरह फुल के हवा में
उड़ने लगते हैं। जिसका कोई वाजुद नहीं होता
न उरने के काबिल होते है वो तो गैस ने हिम्मत
दी होती हैं कुछ पल के लिए तो लोग अपनी
औकात भुल बैठे हैं। इन लोगों की औकात
कुछ नहीं होती है थोड़ा सा बस चांस मिल जाता है नसिब साथ दे देता है या कहीं से जुगाड हों जाता हैं।
कुर्सी पर बस बैठ गये किसी ने बस साहब जो बोल
दिया बस फुले ने समायेनग फुल जायेंगे गुब्बारों की तरह चलेंगे या बात करेंगे तो लगेगा दुनिया इनके
गुलाम हो गयी है। लेकिन इसकी हकीकत
यही रहती हैं। कि ललुलाल थे ललुलाल हैं।
बस अब ललुलाल चमनलाल के साथ न रह कर दो समझदार लोगों के साथ ४ क़दम चल दिया है।
और थोड़ा कहीं से लक्ष्मी की प्राप्ति हो गयी है।
बस यही बदलाव आ गया है ललुलाल में
इस लिये ये फुल के गैस के गुब्बार की तरह
आसमां के तरफ मुंह उठाकर चल रहा हैं।
लललववललुलाल😦
No comments:
Post a Comment