लड़के हमेशा खडे रहे खड़े रहना उनकी कोई मजबुरी नहीं रही बस उन्हें कहा गया एक बार चलो तुम तो लड़के हो, खडे हो जाओ तुम लड़कों का कुछ नहीं बिगडने वाला छोटी-छोटी बातो पर वे खड़े रहे कक्षा के बाहर स्कूल विदाई पर जब ली गई ग्रुप फोटो लड़कियाँ हमेशा आगे बैठी रही। और लड़के बगल में हाथ जुडा पीछे खड़े रहे वे तस्वीरों में आज तक खड़े हैं वे खड़े रहे कालेज के बाहर करते रहे किसी लड़की का इंतजार या किसी घर के बाहर घंटों खड़े रहे एक झलक, एक हाँ के लिए ।अपने आपको आधा छोड़ कर वे आज भी वहीं रह गए हैं। बहन-बेटी की शादी में खड़े रहे मंडप के बाहर। बारात का स्वागत करने के लिए खड़े रहे। रात भर हलवाई के पास कही मेहमाननवाजी में कोई कमी ना रहे जाये खडे रहे खाने की स्टाल के साथ कोई स्वाद कहीं खत्म न हो जाए कोई रूठ न जाये खड़े रहे विदाई तक दरवाजे के सहारे और टैंट के अंतिम पाईप के उखड़ जाने तक खड़े रहे तब तक जब तक हिसाब-किताब न हो जाए। बेटियाँ-बहनें जब तक वापिस नहीं लौटेंगी। तब तक वे खड़े ही मिलेंगे। वे खड़े रहे पत्नी को सीट पर बैठाकर बस या ट्रेन की खिड़की थाम कर । वे खड़े रहे बहन के साथ घर के काम में कोई भारी सामान थामकर। वे खड़े रहे माँ के ऑपरेशन के समय ओ. टी. के बाहर। घंटों वे खड़े रहे खेत खलिहानों में कुदाल ले कर लड़के है न लड़कों के पिठ में रीढ़ की हड्डी नहीं होती न यह अकड़ती है।
बात ये नहीं है। कि लड़के खड़े रहे। बात है Equality की if Society speak on equality why they does not accept boys and girls are equal. If you touch a girls it's illegal and she touch you it is not illegal.
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