जब तुम हुकूमत से सवाल करना
सीख जाओगे.. तब एक पढ़े-लिखे, सजग
और जागरूक नागरिक कहलाओगे..।
और जब तुम हुकुमत कि तानासाही को
स्वीकार कर के ऐ सोचोगे कि हम पड़े लिखे
कामकाजी लोग को राजनीति से क्या लेना
और गुलामी पसन्द करोगे तो।
तुमसे अच्छा इक गांव का जाहील इन्सान है।
किसी लोकतांत्रिक देश के लिए
कम से कम हुकुमत के तानासाही के खिलाफ
सड़क पर इक झंडा या पोस्टर ले के तो निकलता है
ये बताने की हम गुलाम नहीं है।
और वो तुक कामकाजी पड़ लिखे लोगों का भी हक दिलवाता हैं। और तुम बस सोच ही लेते हो
Degree लेते वक्त की रिस्क नहीं लेना है जिन्दगी में। गुलामी करने के सिवा क्यों की हम पढ़-लिखे लोग हो गये है।
No comments:
Post a Comment