Saturday, November 30, 2024
उम्र और हम वहां से यहां तक
Tuesday, November 5, 2024
समाज से बिछड़े हुए लोगों
Monday, September 30, 2024
अनसुलझे लड़के
Friday, March 15, 2024
सरकारी टोटके और सरकार की जनता
हकीकत तो यही बता रहीं है। आज भी इस देश के एक तिहाई लोग की औकात क्या है। आजादी से अब तक। मैं भी उन हिस्सा का एक पार्ट हु। और गौर से कह सकता हु। की ५ किलो अनाज और ऐसे योजनाएं एक ऐसी दवा है की न बीमारी को ठीक कर सकती है । न दूसरी दवा लेने देगी। पूरा गांव का परिवार जो राशन कार्ड और ५ किलो अनाज की सेवाएं लेते आया है। ओ आज भी इन्ही चीजों में उलझा है। और शिक्षा से वंचित रह गया है। स्कूल भेजने से ज्यादा सरकारी लाभ पाने पे जोड़ दिया जाता रहा है। आधार, पैन कार्ड और फोटो कॉपी से न जाने कब बाहर निकलेगा एक अहम हिस्सा इस देश का। इसका कोई आंकड़ा ही नही है। खैर ५ किलो अनाज को हम ऐसे ही देख रहे है। बाबा की भाबुत की तरह जो बीमारी के लिए बाट रहे लेकिन उससे न बीमारी ठीक हो रही न लोगो का बाबा के प्रति और भाबूत के प्रति विश्वास कम हो रहा। खैर लिखते हुवे भी हम दो हिसो में बट गए हैं। न बाबा के खिलाप लिख पा रहे है न बाबा के तारीफ़ में क्यों की हम भी उसी हिस्से का एक पार्ट जो है। सच बताऊं तो कोई किसी का लहर नही था चुनाव में। बस २००० रूपया और ५ किलो अनाज की लहर थी जो अब तक है।
Wednesday, February 14, 2024
ख्वाहिशों की अंतिम तिथि
Tuesday, November 28, 2023
रूढ़िवादी विचारधारा और महिला सशक्तिकरण
बचपन बच्चों जैसा होना चाहिए
बरसात के दिनों में क्लास में बच्चों को घर जा के बरामदे और बंगले में बैठ के पढ़ने की बातें सुनते हुए हमने घर जा के त्रिपाल को बांस के खंभों म...
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ज़िंदगी के ऐसे कई मसले होते है जो हम अंदर ही अंदर बिना किसी से कुछ कहे बस लड़ रहे होते है। वो चाहे फिर घर की परेशानियां हो, कैरियर की हो, पा...
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इस तूफ़ान से गुज़रते हुए, बदल रही हैं चीजें । सीख जाओगे एक रोज़ तूफ़ानों में भी शांत रहना। कई लकीरें उभर आयेंगी चेहरे पर, और उन लकीरों में क...
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चूल्हे चौका, बिंदी, टीका, और घूंघट से निकलकर महिलाओं को। देश, नौकरी, राजनीति, समाज, पे बाते करने तक का सफर सदियों से आज तक एक मील नहीं चल पा...
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It all started back in 2014 when I first saw her. It was first day of my college life and I was late for the class . As I entered th...
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सन २०२० चल रहा था पुरी दुनिया में खलबली मची हुई थी।,करोना वायरस का आक्रमण पुरी दुनिया में फ़ैल चुका था चारों तरफ लाशों का ढेर लगी हुआ थी को...
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मजदूर दिवस क्यों मनाया जाता है, 2020 मजदूर का मतलब हमेशा गरीब से नहीं होता हैं, मजदूर वह ईकाई हैं, जो हर सफलता का अभिन्न अंग हैं,...
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पुराने ज़माने की बातें जब भी सुनता हूँ, तो लगता है—सच में कुछ ख़ास नहीं बदला है। यहाँ अब भी वही पुरानी चीज़ें हो रही थीं, वहां इ...
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यह कैसी है दिल्ली भाई। हमको कुछ समझ न आई।। पहाड़गंज में 'पहाड़' नहीं दरियागंज में 'दरिया' नहीं।। चाँदनी चौक में कहाँ ...