पेंशन रोकी अब शासन ने,
आगे क्या सम्भव होगा?
जीवन के पश्चात – काल में,
चीख रहा मानव होगा।
संविधान भारत का उत्तम,
सोचसमझकर लिखा गया,
महापुरुष हैं चिन्तक – लेखक,
वृत्तिनाश विप्लव होगा।
अभियन्ता, व्याख्याता आदिक,
सेवाभाव निभाते हैं,
अनुपलब्धि सेवा – प्रवृत्ति पर,
शिवशंकर ताण्डव होगा।
पूर्व विधायक, सांसद, मन्त्री,
शपथ हुई अधिकार मिला,
काल अल्पतम रहा भले ही,
अतिशय धन-वैभव होगा।
सेवाभावी कर्मकार क्यों,
होगा दुश्मन, मित्र नहीं?
नियम-अधिनियम लागू नूतन,
क्यों विधान यह नव होगा?
भारतवर्ष राष्ट्र है अपना,
सेवाकर्म प्रशस्य किया,
उत्तमता के साधक हैं हम,
एक नया उद्भव होगा।
https://vinodkushwa.blogspot.com/2019/06/blog-post_19.html
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