Friday, June 14, 2019

शासन प्रशासन और और किसान

पेंशन   रोकी   अब   शासन  ने,
आगे  क्या  सम्भव  होगा?
जीवन   के   पश्चात – काल   में,
चीख   रहा  मानव  होगा।

संविधान   भारत    का   उत्तम,
सोचसमझकर लिखा गया,
महापुरुष  हैं  चिन्तक – लेखक,
वृत्तिनाश   विप्लव   होगा।

अभियन्ता, व्याख्याता आदिक,
सेवाभाव     निभाते      हैं,
अनुपलब्धि  सेवा – प्रवृत्ति  पर,
शिवशंकर  ताण्डव  होगा।
पूर्व  विधायक,  सांसद,  मन्त्री,
शपथ हुई अधिकार मिला,
काल  अल्पतम  रहा  भले  ही,
अतिशय धन-वैभव होगा।
सेवाभावी     कर्मकार     क्यों,
होगा  दुश्मन,  मित्र   नहीं?
नियम-अधिनियम  लागू  नूतन,
क्यों विधान यह नव होगा?
भारतवर्ष    राष्ट्र     है    अपना,
सेवाकर्म   प्रशस्य    किया,
उत्तमता   के  साधक   हैं   हम,
एक  नया   उद्भव   होगा।
 https://vinodkushwa.blogspot.com/2019/06/blog-post_19.html

No comments:

Post a Comment

बचपन बच्चों जैसा होना चाहिए

बरसात के दिनों में क्लास में बच्चों को घर जा के बरामदे और बंगले में बैठ के पढ़ने की बातें सुनते हुए हमने घर जा के त्रिपाल को बांस के खंभों म...