Tuesday, May 9, 2023

बदल रहीं हैं जिन्दगी

इस तूफ़ान से गुज़रते हुए, बदल रही हैं
चीजें । सीख जाओगे एक रोज़ तूफ़ानों में भी शांत रहना। कई लकीरें
उभर आयेंगी चेहरे पर, और उन लकीरों में कहीं छुपी होगी स्वीकृति जीवन की ।
हर छोटी बात पर जो हलचल और बेचैनी महसूस करते हो अभी, 
एक रोज़ सीख जाओगे मुस्कुराते हुए चीज़ों को आते जाते देखना । 
जितना सब कुछ ज़रूरी लगता है जीने के लिये, उतने सब की ज़रूरत नहीं होगी । 
जब सीख जाओगे सवालों के हल अपने भीतर ढूँढना
जब जिम्मेदारी आ जायेगी न तब तक परिपक्व हो जाओगे। ये जो बातों बातों पे जो तिलमिलाहट होती हैं न शान्त हो जाओगे बुरी बातें सुन कर भी इक दिन! 
इस तूफ़ान से गुज़रते हुए, बदल रही हैं चीजें घड़ी कि सुईयों के साथ टिक टिक। ये जो झरनें कि तरह आवाज कर रहे न। समन्दर बन जाओगे तुम।

Wednesday, April 26, 2023

प्रतिक्षाएँ

प्रेम और प्रतिक्षाएँ एक साथ
जन्म लेती हैं
जो प्रतिक्षाओं में जीते हैं
जो किसी के आने या जाने
या मिलने कि प्रतिक्षाओं से पीड़ित हैं
वो विश्व के सबसे शांत लोग है
उन्हें युद्धों से कोई मतलब नहीं है
उन्हें मतलब होता है
जो युद्धों से लौटकर नहीं आए उनसे
वो बंदूकों से इतर
किताबें पकड़ना ज्यादा पसंद करते हैं ।
किसी तोप या गोले दागने से
बेहतर लगता है
किसी व्यस्त चौराहे पर जाकर
वॉयलन बजाया जाए
गीत गाया जाए

Thursday, March 30, 2023

हम अपनी पसन्द का कभी उड़ान नहीं भर पाये।

पतंगों की तरह हमें भी उड़ने का मौका मिला मौका
मिला ऊँची उड़ाने भरने का, मगर उड़ानों की डोर
हमेशा से ही किसी और के हाथों में रही, जब भी अपनी
मर्जी से ऊपर उड़ना चाहा खींच दी गई डोर और हम
कभी भी अपनी पसंद की उड़ान नहीं पा सके।
पर....
वे भूल गए कि जरा सी ढील जरूरी है ऊँची उड़ानों के
लिए और अपने पतंग को बचाए रखने के लिए। अगर
डोर को ज़रूरत से ज्यादा खिंची जाये तो वो कट जाती
है और जा गिरती है किसी और की छत पर जिसे कोई
और पा लेता है। पाकर खुश होता है, किसी और के
छत से वो पतंग दोबारा उड़ाए जाने लगती है, लेकिन
इस बार उड़ाने वाला ना कोई संकोच रखता है और ना
कोई ऐहतियात बरतता है क्यूंकि वो जनता है यह पतंग
उसकी खुद की खरीदी हुई नहीं बल्कि कट कर उसके
छत पर गिर जाने वाली पतंग है बिल्कुल बेसहारा और
कुछ देर बाद मन उबने के बाद उसी के हाथों पतंग फाड़
दी जाती है जिसे पाने वाला कुछ देर पहले बहुत खुश
था।
वक्त वक्त पर पतंगों को डील देनी पड़ती है ताकि वो
अपना आसमान, अपनी उड़ान और अपना मुक़ाम
हासिल कर सकें।

Tuesday, January 3, 2023

एक वक्त था।

एक वक्त था। कुछ लोग थे। कुछ शौक था। कुछ सपने थे। कुछ दोस्त थे। सब अपने थे. कुछ कहते हैं। कुछ सुनते थे। लबो पे हंसी थी। गम बहुत कम था।
अब न वक़्त है। न ल़ोग है। न शौक है। न दोस्त है। न कोई सुनता है। न कोई सुनाता है। न लबो पे हंसी है। अब जो गम है ओ हरदम है।
-कुछ छुटने की। कुछ रूठने की। कुछ टूटने की। कुछ अपनो की। कुछ सपनों की।
-एक वक्त था। कुछ लोग थे. कुछ शौक था।  कुछ दोस्त थे। कुछ बते थी। कुछ कहने को कुछ सुनने को। कुछ ख्वाब अधूरे बुनने को। कुछ किताबे थी। कुछ कलम थे. चंद सिक्के थे। कुछ इक बैग था। इक साइकिल थी. हम चले थे आसमा छूने को.

Tuesday, September 27, 2022

उलझनें और ज़िन्दगी

ज़िंदगी के ऐसे कई मसले होते है जो हम अंदर ही अंदर बिना किसी से
कुछ कहे बस लड़ रहे होते है। वो चाहे फिर घर की परेशानियां हो, कैरियर
की हो, पार्टनर की हो या कोई और। ज़िंदगी में एक समय ऐसा भी आता
है जब कुछ सही नहीं हो रहा होता उम्मीदें टूटती है, दिल टूटता है, दर्द सह
रहे होते हैं और बस चल रहे होते है उस पर कुछ लोग बेदर्दी से बिना कुछ
सोचे हमे जज़ कर रहे होते है। और ये सब कई बार इतना असहनीय हो
जाता है की हम खुद को खत्म करने तक की सोचने लगते है। पर हम
अक्सर उस दौर में ये गौर करना भूल जाते है की हम सब कुछ बिना
किसी सहारे के सह गए और जब हम इस वक्त से बाहर निकलेंगे तो एक
ऐसे व्यक्ति बन जायेंगे जो फिर कभी नही टूटेगा और ये शायद हमारी
सबसे बड़ी जीत होगी । तो कुछ समय के लिए दुनिया को भूलाकर अपनी
ताकत को समेटकर उस वक्त से गुजर जाना। एक दिन बुरा वक्त बीतेगा
और तुम खुद को और भी आज़ाद पाओगे।

Monday, August 22, 2022

मैं एक रफ़ वर्क हूँ

सड़कें आख़िर सड़कों को क्यूँ काटती हैं?
क्यूँकि तभी तो नए रास्ते बनते हैं
समानांतर रेखाएँ अनन्त तक जाती हैं
मगर रेखाएँ एक दूसरे को अगर काटे नहीं
तो कोई तस्वीर बनेगी क्या ?
मुझे रेखाओं का, सड़कों का काटना
रोमांचकारी लगता है
मैं सीधी रेखा में नहीं चलूँगा
मेरी कल्पनाओं को बोरियत होती है
मेरी कहानी में कुछ काटा काटी ज़रूरी है
जैसे बच्चे काटते हैं ग़लत लिखा हुआ
मैं एक रफ़ वर्क हूँ, हमेशा सब कुछ फ़ेयर नहीं होगा

पूर्वांचल एक्स्प्रेस

एसी कोच  से जनरल कोच  तक, जनरल  कोच से एसी  कोच  तक का सफर बताता है।  इस देश में कितनी विविधता है।  जनरल कोच में बैठ के अतीत को देख रहा था ६...